गैर-लाभकारी संगठन
UNICEF इंडोनेशिया
UNICEF ने इंडोनेशिया में COVID-19 वैश्विक महामारी के दौरान बच्चों के टीके की सुरक्षा से जुड़े लोगों के नज़रिए को बदलने के लिए Facebook के विज्ञापन कैंपेन का उपयोग किया.
UNICEF इंडोनेशिया और Gavi, the Vaccine Alliance ने COVID-19 के दौरान बच्चों के नियमित टीकाकरण में भरोसा बढ़ाने और माता-पिता को अपने बच्चों के टीका लगवाने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु पार्टनरशिप की. पाँच हफ़्ते तक इंडोनेशिया के तीन राज्यों में 18 से 50 साल के एक्टिव Facebook यूज़र या कहें कि कुल आबादी के 50% लोगों को UNICEF के विज्ञापन दिखाए गए.
इस कैंपेन ने उन महिलाओं को बच्चों का टीकाकरण करवाने के लिए प्रेरित किया, जो बच्चों की परवरिश करती हैं. साथ ही, इससे UNICEF को यह समझने में बेहतर तरीके से मदद मिली कि आगे के कैंपेन में किस तरह का सोशल मीडिया कंटेंट माता-पिता को अपने बच्चे को टीका लगवाने के लिए प्रेरित कर सकता है. यह कैंपेन सामान्य कैंपेन की तुलना में कम खर्च पर 6 मिलियन से ज़्यादा लोगों तक पहुँचा और इससे वैश्विक महामारी के समय में टीकाकरण की सुरक्षा को लेकर लोगों के नज़रिए में 4.3 प्रतिशत पॉइंट की बढ़ोतरी हुई. ये परिणाम दिखाते हैं कि Facebook, जानकारी साझा करने की रणनीति को अमलीजामा पहनाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण माध्यम हो सकता है. इससे सोच, नज़रिया और कुल मिलाकर टीके के प्रति लोगों के व्यवहार को बदला जा सकता है.
नज़रिया
COVID-19 से पहले, बच्चों का नियमित टीकाकरण पिछले कुछ सालों में इंडोनेशिया में लगभग 80% पर ठहर गया था. स्वास्थ्य सेवाओं के प्रभावित होने से वैश्विक महामारी ने इस समस्या को और बढ़ा दिया. वहीं, लोगों को क्लीनिक और अस्पतालों में जाने से संक्रमण होने का डर सताने लगा. इस समस्या से निपटने के लिए, UNICEF इंडोनेशिया ने COVID-19 के दौरान नियमित टीकाकरण की सुरक्षा के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए Facebook विज्ञापनों का उपयोग किया. इसके तहत 45-दिनों के लिए स्वास्थ्य कैंपेन चलाया गया, जिस���ें बताया गया कि बच्चों को टीका लगवाते समय संक्रमण के खतरे को किस तरह कम किया जाए.
UNICEF ने ऑडियंस इनसाइट का उपयोग किया. यह एक Facebook टूल है जिससे यूज़र डेमोग्राफ़िक के आधार पर विज्ञापनों के लिए ऑडियंस बनाने में मदद मिलती है, ताकि उनके कैंपेन के लिए टार्गेट जनसंख्या के बारे में बेहतर तरीके से जानकारी मिल सके. विज्ञापनों को UNICEF और स्वास्थ्य मंत्रालय ने साथ मिलकर तैयार किया, जिसमें आधारभूत जानकारी और स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा किए गए मूल्यांकन का उपयोग करके मैसेज तैयार किया गया. कैंपेन इंडोनेशिया के उन तीन राज्यों में जहाँ बच्चों के टीकाकरण की दर कम थी, वहाँ के उन यूज़र के लिए तैयार किया गया था, जो अपने बच्चों की परवरिश करने की उम्र के थे -- इन राज्यों के नाम हैं आचेह, दक्षिण सुलावेसी और पूर्वी नुसा तेंगारा.
विज्ञापनों में दो तरह का कंटेंट दिखाया गया; पहला, बच्चों और उनकी देखभाल करने वालों और माता-पिता की प्रशंसा की फ़ोटो दिखाकर भावनात्मक प्रतिक्रिया को जगाने के लिए डिज़ाइन किया गया था और दूसरी तरह के कंटेंट ने यूज़र को टीके से जुड़े इलस्ट्रेसन और ऑकड़ों का उपयोग करके जागरूक किया. कुछ विज्ञापनों ने दर्शकों को तीन लेखों के लिए UNICEF की वेबसाइट पर भेजा. इन लेखों में वैश्विक महामारी के दौरान टीका लेते समय सुरक्षा और प्रोसेस की जानकारी दी गई थी. साथ ही, इन लेखों से टीकाकरण से जुड़े मिथकों को भी दूर किया गया.
अपने कंटेंट के असर के बारे में जान��े के लिए, UNICEF ने एक ब्रांड लिफ़्ट स्टडी की -- यह एक ऐसा टूल है, जिसे आम तौर पर मार्केटिंग में किसी विज्ञापन कैंपेन की सफलता का मूल्यांकन करने के लिए उपयोग में लाया जाता है. UNICEF ने स्वास्थ्य से जुड़े अपने कैंपेन को लेकर यह मूल्यांकन करने के लिए इस स्टडी को लागू किया कि क्या उनके विज्ञापनों को देखने से टीकों के प्रति लोगों में भरोसा कायम हुआ और क्या इससे परवरिश करने वाले माता-पिता अपने बच्चों को टीका लगवाने के लिए प्रेरित हुए. कुल मिलाकर, ब्रांड लिफ़्ट स्टडी में 5,000 लोगों पर सर्वे किया गया और हर एक को बच्चों को लगने वाले टीके की सुरक्षा से संबंधित नज़रिया और जानकारी, अपने बच्चे के टीकाकरण के लिए प्रेरणा और अन्य लोगों से भी ऐसा करने की सिफ़ारिश करने से जुड़े सर्वे के पाँच सवालों में से एक का जबाव देने के लिए कहा गया.
प्रभाव
UNICEF इंडोनेशिया तीन राज्यों में 60 लाख से ज़्यादा लोगों तक पहुँचा, इसमें बच्चों की परवरिश करने वाले माता-पिता की उम्र के Facebook यूज़र की 50% से ज़्यादा टार्गेट पॉपूलेशन भी शामिल थी. विज्ञापनों को बहुत हद तक पर्याप्त पहुँच हासिल हुई, यहाँ तक कि ग्रामीण इलाकों में भी, और हर एक एंगेजमेंट (विज्ञापनों के जवाब में लिए गए एक्शन जैसे कि लाइक, कमेंट और शेयर) की औसत लागत USD 0.01 रही.
सर्वे के परिणामों ने दिखाया कि इससे वैश्विक महामारी के समय में टीकाकरण की सुरक्षा से जुड़े लोगों के नज़रिए में 4.3 प्रतिशत पॉइंट की बढ़ोतरी हुई है और खास तौर पर इससे उन 18 से 24 साल की महिलाओं के मामले में, जिनकी शिशुओं की देखभाल करने की सबसे ज़्यादा संभावना है, 9.4 प्रतिशत पॉइंट की बढ़ोतरी हुई. 25 से 34 साल की उम्र वाली महिलाओं में, इस संभावना को लेकर 6.9 प्रतिशत पॉइंट की बढ़ोतरी हुई कि वे अपने परिवार और दोस्तों से कहेंगी कि वे अपने बच्चों को टीका लगवाएँ. परिणामों ने यह भी पता चला भावनात्मक विज्ञापनों को जानकारी देने वाले विज्ञापनों की तुलना में ज़्यादा एंगेजमेंट देखने को मिली. फिर भी, यह समझने के लिए ज़्यादा रिसर्च करने की ज़रूरत है कि यह यूज़र की जानकारी, नज़रिया और व्यवहार को किस तरह प्रभावित करता है.
इस कैंपेन में, माता-पिता द्वारा अपने बच्चों को अगले टीकाकरण के लिए नज़दीकी हेल्थ क्लिनिक पर ले जाने की प्रेरणा में सिर्फ़ 1.0 प्रतिशत पॉइंट की छोटी-सी बढ़ोतरी देखी गई. इस प्रोजेक्ट के अगले दौर के लिए, टीम माता-पिता को प्रोत्साहित करने के मामले में Facebook के प्रभाव को मापने, जिसमें क्लिनिक में जाकर सर्वे करना भी शामिल है, और लंबे समय तक चलने वाले कैंपेन और प्रतिक्रिया देने के लिए प्रेरित करने वाले कंटेंट के माध्यम से माता-पिता के भरोसे को बढ़ाने के तरीकों को डिस्कवर करने, दोनों के लिए नए तरीके तलाश रही है.
आगे के कैंपेन में, UNICEF अपने कंटेंट में इन इनसाइट का उपयोग करेगा, जैसे कि माता-पिता के इरादे से कंटेंट बनाना, जिसमें पिताओं को ज़्यादा पुरुष यूज़र को शामिल करने के प्रोत्साहित किया जाए. स्वास्थ्य मंत्रालय, 2021 की शुरुआत में टीकाकरण को लेकर जानकारी साझा करने की देश की रणनीति को अपडेट करने के लिए आम तौर पर पूछे जाने वाले सवालों से जुड़े यूज़र के कमेंट के विश्लेषण और कैंपेन की पोस्ट में टीकों से जुड़ी गलतफ़हमियों का उपयोग करेगा.
सीखने लायक चीज़ें
स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी को ला��ों लोगों तक पहुँचाने वाले किसी कैंपेन को कम समय के अंदर बनाने से लेकर उसे अमल में लाने तक UNICEF की टीम और उनके हितधारकों (भागीदारों) के बीच बढ़िया समन्वय और सहयोग की आवश्यक है. ब्रांड लिफ़्ट स्टडी ने दिखाया है कि Facebook विज्ञापन कैंपेन कम खर्च में लाखों लोगों तक तेज़ी से पहुँचने के लिए स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी को लोगों तक पहुँचाने की रणनीति को पूरा कर सकते हैं. जैसा कि UNICEF इंडोनेशिया ने Facebook पर चलाए गए कैंपेन के ज़रिए बड़े पैमाने पर स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी को देश भर में लोगों तक पहुँचाने के लिए योजना बनाई है, वे अब एक ऐसा खाका तैयार कर रहे हैं, जिसे COVID-19 टीका लेने जैसी अन्य स्वास्थ्य प्राथमिकताओं पर भी लागू किया जा सके.
“Facebook पर हमारे कैंपेन ने दिखाया है कि COVID-19 वैश्विक महामारी के दौरान सोशल मीडिया के ज़रिए हम माता-पिता और देखभाल करने वालों के बीच टीकाकरण में भरोसा बढ़ा सकते हैं. हमें उम्मीद है कि इंडोनेशिया के स्वास्थ्य मंत्रालय, Facebook, Gavi और UNICEF के बीच यह सहयोग टीके को लेकर माँग को बढ़ाने के लिए पूरे देश में तेज़ी से बढ़ेगा, न सिर्फ़ COVID-19 के दौरान, बल्कि इस वैश्विक महामारी के बाद भी. खास तौर से जब यह सहयोग टीकाकरण को लेकर जानकारी साझा करने की देश की रणनीति से करीब से जुड़ा हो”.
–रॉबर्ट गास, UNICEF इंडोनेशिया डिप्टी रिप्रेजेंटेटिव
"Facebook का उपयोग करना, कम समय में पूरे इंडोनेशिया में लोगों तक पहुँचने का सबसे आसान और तेज़ तरीका है. अगर आप यह कैंपेन ऑफ़लाइन तरीके से करते, तो यह बहुत ज़्यादा समय लेता. Facebook देश में सबसे ज़्यादा उपयोग किए जाने वाले सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म में से भी एक है, जिसका मतलब है कि हम पोस्ट करके ज़्यादा लोगों तक पहुँच सकते हैं”.
- अमांडा ड्यीआरसिआनती, कम्युनिकेशन ऑफ़िसर, UNICEF इंडोनेशिया
"इंडोनेशिया में बड़ी संख्या में Facebook का उपयोग करने वाले एक्टिव यूज़र्स को देखते हुए सोशल मीडिया लोगों तक जानकारी पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहेगा, यह संख्या वैश्विक महामारी के दौरान भी लगातार बढ़ रही है. टीकाकरण से जुड़े मैसेज आकर्षक और तय ढंग से डिज़ाइन किए जाने चाहिए, ताकि लोगों तक टीके की पहुँच और उनमें समान वितरण के ज़रिए ये टीकाकरण की संख्या को बढ़ाएँ”.
- डॉ आसिक सूर्या, टीकाकरण पर एक्सपेंडेड प्रोग्राम मैनेजर, इंडोनेशिया स्��ास्थ्य मंत्रालय